Plug-in Hybrids

Green Gears: Decoding Mild HEVs, HEVs, Plug-in HEVs, BEVs, and Fuel Cell EVs for Indian Drivers



Green Gears: Decoding Mild HEVs, HEVs, Plug-in HEVs, BEVs, and Fuel Cell EVs for Indian Drivers

नमस्कार दोस्तों मैं आज आपके लिए बहुत ही इंटरेस्टिंग कंटेंट लेकर आया हूं आज हम बात करने वाले हैं कि इंडिया में कितने टाइप के हाइब्रिड आते हैं या फिर हाइब्रिड इलेक्ट्रिक आते हैं स्पेसिफिकली हम कार्स के बारे में बात करेंगे और अगर आप ये वीडियो को पूरा देखते हैं तो मैं आपको

100% बोल सकता हूं कि आपको भी सभी के सभी हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल कैसे काम करते हैं उसके बारे में नॉलेज मिल जाएगा और आप दूसरे लोगों को भी बहुत ही इजली वो सब चीजें वो एक्सप्लेन कर पाओगे यहां पे हम टोटल पांच हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल के

बारे में बात करने वाले हैं मतलब पांच टाइप की जो हाइब्रिड कार आती है उसके बारे में बात करने वाले हैं पहली है माइल हाइब्रिड दूसरी है हाइब्रिड तीसरी है प्लगइन हाइब्रिड चौथी है प्योर इलेक्ट्रिक एंड पांचवी चीज के बारे में बात करेंगे कि फ्यूल सल हाइब्रिड क्या होती है तो चलिए

सबसे पहले समझ लेते हैं कि माइल हाइब्रिड क्या होती है एक्चुअल में हाइब्रिड है ही नहीं सिर्फ इसको हाइब्रिड का नाम दे दिया गया है माइल्ड हाइब्रिड मतलब mahindra’s के साथ हमने देखा है कि उसमें एसएसवीएस लिखा के आता है तो ये सब माइल हाइब्रिड टेक्नोलॉजी है वो कैसे काम करती

है वो हम पहले समझ लेते हैं और ये जो माइल हाइब्रिड टेक्नोलॉजी जी हमने xl6 फिर ब्रेज में रिसेंटली वापस आ गई है फिर स्पियो में देखा है तो वो सभी गाड़ियों के साथ में देखा है वही माइल हाइब्रिड सिस्टम की यहां पे हम बात करने वाले हैं यहां पे

मैं आपको एक एग्जांपल एस एसवीएच का लेकर समझाऊ एस एसवीएच का मतलब कुछ नहीं है कि स्मार्ट हाइब्रिड व्हीकल बाय अपने माइल्ड हाइब्रिड टेक्नोलॉजी में अलग-अलग तरीके से काम करती है तो हो सकता है कि आपको mahindra-ecat टर जब भी आपका इंजन रनिंग होता है तो पावर भी जनरेट करता रहता है

ताकि आपकी जो 12 वोल्ट की बैटरी है उससे चार्ज होती रहे तो यह मैकेनिज्म हमने सभी आईसी इंजन वाली गाडी में देखिए है नॉर्मल मैकेनिज्म है सभी कंपनियां ऐसे यूज करती है अभी हम मायल हाइब्रिड के साथ में क्या देखते हैं कि यह जो पर्टिकुलर अल्टरनेटर है उसको

होती है और उसके साथ-साथ यह सेम आईज जब आप इनिशियल पिकअप लेते हो इंजन को ज्यादा लोड देना होता है तो यह आईएज है वो इंजन को थोड़ा सा असिस्ट कर देता है ताकि इंजन में थोड़ा ज्यादा पावर मिल जाए और आपका जो

व्हीकल है वो इजली उठ जाए तो ये एक चीज है वो आईजी ज्यादा कर लेता है कंपेयर टू अल्टरनेटर अब आप जब भी माइल हाइब्रिड टेक्नोलॉजी देखोगे तो आपको उसके डैशबोर्ड में कहीं ना कहीं वो ऑटो स्टार्ट स्टॉप की स्विच मिल जाएगी ऑटो स्टार्ट स्टॉप से तो

आप सब लोग वाकिफ ही हो जब आप सिग्नल पे रुकते हो इंजन है वो मैनुअल गियर बॉक्स के साथ में अगर न्यूट्रल में लाते हो या फिर ऑटोमेटिक है तो थोड़ी देर के लिए आप रुकोगे तो ऑटोमेटिक इंजन को कट ऑफ कर देगा और जब आप क्लच पेडल प्रेस करते हो तो इंजन

को ऑटोमेटिक स्टार्ट कर देगा अब जब हम माइल हाइब्रिड की बात करें तो माइल हाइब्रिड में आपको 12 वोल्ट की टिपिकल एक बैटरी मिलती है उसके साथ-साथ आपको एक और बैटरी दी जाती है जो आपने देखा है कि 48 वोल्ट माइल्ड हाइब्रिड बोलते हैं तो जो

दूसरी वाली बैटरी होती है वो लिथियम आयन बैटरी होती है उसकी कैपेसिटी है वो 48 वोल्ट की होती है तो उसकी वजह से उसको 48 वोल्ट माइल हाइब्रिड बोलते हैं यहां पे आप देख सकते हो कि दूसरी बैटरी भी लगी हुई है जो कि 12 वोल्ट से ऑलमोस्ट डबल कैपेसिटी

वाली बैटरी है अब माइल एबड का बहुत ही बेसिक कांसेप्ट जब भी आप व्हीकल को डीलेट करते हो मतलब कि आप एक्सीलरेशन से पाव हटा लेते हो या फिर ब्रेक पेडल को प्रेस करते हो तभी ये जो आईजी है वो एनर्जी को रीप्रोड्यूस करता है और उससे ही यह

पर्टिकुलर 48 वोल्ट की बैटरी और 12 वोल्ट की बैटरी को चार्ज कर देता है अगर आप नॉर्मल आईसी इंजन रहो तो उसमें जो अल्टरनेटर का काम होता है वो सिर्फ और सिर्फ 12 वोल्ट की बैटरी को चार्ज करना होता है यहां पे आईजी है उसकी एनर्जी

जनरेशन कैपेसिटी ज्यादा है तो यहां पे वो दो बैटरी को को भी एक साथ चार्ज कर सकता है अब ये काम कैसे करता है उसके बारे में हम समझते हैं तो जब भी आप सिग्नल पे खड़े हो और आपका इंजन है वो टोटली कट ऑफ हो गया

है जब भी आप क्लच पेडल पे पावर रखोगे तो आपका इंजन है वो डेफिनेटली ऑटो स्टार्टट हो जाएगा अब ये ऑटो स्टार्ट करने का काम है वो आपकी नॉर्मल 12 वोल्ट की बैटरी है वही करती है जो कि हमने विदाउट माल हाइब्रिड वाली कार में भी देखा है कि 12

वोल्ट की बैटरी है वही अपने इंजन को स्टार्ट करने में मदद करती है अब आप जैसे ही एलेटर पेडल को प्रेस करोगे मतलब सिस्टम डिटेक्ट कर लेगी कि आपको इनिशियल पिकअप की जरूरत है तो यहां पे जो 48 वोल्ट की जो बैटरी लगी हुई है वहां से वो पावर लेके

इंजन को वहां पे थोड़ा बहुत आ असिस्ट कर देगी ताकि आपकी गाड़ी है वो इजली सिग्नल पे से उठ जाए तो आप अगर यहां पे एक चीज नोट करोगे तो यहां पे इंजन है वो कभी भी कट ऑफ नहीं हुआ है यहां पे जो माइल हाइब्रिड सिस्टम है उसने सिर्फ उतना ही

काम किया है कि आपका जो इंजन है उसको थोड़ा सा पुश दे दिया ताकि इंजन पे थोड़ा कम लोड आए और वो थोड़ी फ्यूल एफिशिएंसी है वो ज्यादा दे पाए ये पुश उतना भी ज्यादा नहीं होता है कि आपको पता चल जाए आपको ऐसा

ही लगेगा कि इंजन है वही आपकी कार को उठा रहा है तो ये बहुत ही मामूली सा असिस्ट है वो होता है और ये मामूली सा असिस्ट आप वैसे कह लो तो जो 48 वोल्ट की बैटरी का जो वेटेज आया है और ये जो आईजी यहां पे लगा

हुआ है अगर हम पावर टू वेस्ट रेशियो के बारे में बात करें तो ऑलमोस्ट नील हो जाता है तो यहां पे इंजन में से थोड़ा बहुत लोड कम होता है बाकी टोर कास की वजह से आपको ऐसा नहीं फील होगा कि आपकी गाड़ी है वो

बहुत ही जल्दी पिकअप ले रही है अब आपकी गाड़ी जब नॉर्मल क्रूज कर रही है तो ये जो दोनों बैटरी है वो आपकी लाइटिंग फिर एड कंडीशनर फिर आपका रेडियो और वो सभी को पावर देती रहेगी तो वो सभी इलेक्ट्रिक चीज है वो दोनों बैटरी के साथ में काम करने

वाली है और जो नॉर्मल आईसी इंजन में जो अल्टरनेटर है वो इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करता है जब आपका इंजन है वो कंटीन्यूअसली रनिंग होता है तो यहां पे वो इलेक्ट्रिसिटी उसको जनरेट नहीं करनी पड़ती है तो इंजन का लोड है वो डेफिनेटली थोड़ा कम हो जाएगा और उसको सिर्फ और सिर्फ व्हीकल को ड्राइव

करने पे ही फोकस करना पड़ेगा तो वो जो लोड कम हुआ उससे आपकी जो फ्यूल एफिशिएंसी है वो थोड़ा बहुत हाई हो जाएगी और यहां पे भी सेम चीज जब आप कोई भी सिग्नल पे या फिर आपकी गाड़ी को स्टॉप करना चाहते हो तो रि

जनरेशन का यूज करेगा और वह जो आईजी होता है वही आपकी बैटरी को चार्ज करने लगेगा और जब ये इंजन स्टॉप हो गया है उस केस में भी आपका जो एसी है फिर लाइट है और वो सभी चीजें वो यहां पे दो इलेक्ट्रिक बैटरी लगी

हुई है उनसे ही पावर सप्लाई लेगी और आपका जो काम है वो कंटीन्यूअसली चलता रहेगा और इस वजह से आपको मेजम का कोई यूज ही नहीं है दूसरे नंबर पर बात कर लेते हैं कि एक्चुअल जो हाइब्रिड सिस्टम है वो कैसे काम करते हैं यहां पे मैं आपको

कंपोनेंट होते हैं जैसे कि हमारी एक मोटर हो गई वो डेफिनेटली आपके व्हील को पावर देगी उसके बाद जनरेटर हो गया जो कि आपका इंजन से पावर प्रोड्यूस करके बैटरी को चार्ज करेगा और यहां पे स्पेसिफिकली जो बैटरी आती है उसकी कैपेसिटी बहुत ही अच्छी होती है मतलब आप ऑलमोस्ट चार या 5

किलोमीटर तक आपकी गाड़ी या प्योर बैटरी पावर पे चला सकते हो उतनी हाईली कैपेबल बैटरी यहां पे आपको हाइब्रिड के साथ देखने को मिलती है अब ये पर्टिकुलर हाइब्रिड मैकेनिज्म को हम समझते हैं जोक एक्चुअल में हाइब्रिड मैकेनिज्म ही है जब भी आपकी गाड़ी खड़ी होगी तो आपका सारे का सारा

यूनिट है वो बंद होगा से सपोज आप कोई भी सिग्नल पे खड़े हो या फिर आप अपने घर से गाड़ी को स्टार्ट करने वाले हो उससे पहले आपकी गाड़ी स्टॉप है अब जैसे ही आप अपनी गाड़ी को स्टार्ट करोगे तो पहले आपकी गाड़ी है वो कंपलीटली इलेक्ट्रिक पावर पे

चलने वाली है मतलब यहां पे इंजन है वो स्टार्ट ही नहीं होगा आप कोई भी सिग्नल पे खड़े हो वहां से भी अगर आपकी गाड़ी पिकअप करना चाहो तो जब भी आपकी बैटरी में थोड़ा बहुत भी पावर है तो बैटरी पावर पे ही आपकी गाड़ी को पिकअप देगा वहां पे इंजन है वो

भी बंद होगा जैसे कि आप यहां पे एनिमेशन में देख रहे हो तो अभी इंजन चल नहीं रहा है उसका मतलब है कि आप जो फ्यूल एफिशिएंसी है वो डायरेक्टली यहां पे निकाल रहे हो बैटरी पावर अब ये पर्टिकुलर चीज है वो प्योर पे तब भी चलने वाली है जब आप

इनिशियली पिकअप लेते हो और आपने अभी एक्सीलरेशन को प्रेस नहीं किया हुआ है अब आप जब भी एक्सलेटर पेडल पे पाव रखते हो तभी जाके आपका जो इंजन है वो स्टार्ट होगा और ये इंजन स्टार्ट का जो काम करता है वो हमने टिपिकल हमारे 12 वोल्ट की बैटरी

देखिए वही करेगा वो इंजन को स्टार्ट कर लेगा और अगर आपकी बैटरी है वो प्रॉपर चार्ज है वो तो इंजन पावर प्लस बैटरी पावर से आपकी गाड़ी चलेगी उसमें एक पावर कंट्रोल यूनिट रखा हुआ होता है वो डिसाइड करता है कि मेरे को कितना पावर बैटरी में

से लेना है कितना पावर इंजन में से लेना है तो वो मैकेनिज्म से आपको यहां पे मैक्सिमम फ्यूल एफिशिएंसी भी मिल जाएगी और पावर भी अच्छा खासा मिल जाएगा क्योंकि यहां पे बैटरी और इंजिन दोनों एक साथ में काम कर रहे होते हैं अब जब भी आप नॉर्मल

क्रूजिंग कर रहे हो मतलब कि आपने अपनी गाड़ी है वो क्रूज कंट्रोल प लगाई हुई है आदर आप हाईवे पे जा रहे हो जहां पे आप कांस्टेंट स्पीड मेंटेन कर पा रहे हो 8090 900 या कोई भी स्पीड है वो आप अगर मेंटेन कर पा रहे हो उस केस में क्या होगा कि

आपका जो इंजन का लोड है वो डेफिनेटली उतना नहीं होगा जितना आपको इनिशियल पिकअप में चाहिए तो ये पर्टिकुलर मोमेंट पे जो इंजन है वो आपकी कार को प्रॉपर पावर भी दे पाएगा और उसके साथ-साथ उसके कुछ परसेंटेज है वो बैटरी को चार्ज करने में भी लगाएगा

तो आप जब प्रॉपर क्रूजिंग कर रहे हो तब आपको पता नहीं चलेगा कि इंजन का जो आधा पावर है व कट ऑफ हो गया है और वो पावर जनरेटर के थ्रू बैटरी को चार्ज करने में जा रहा है तो इस केस में आपकी बैटरी भी

चार्ज हो रही है और आपकी जो गाड़ी है वो कांस्टेंट चल भी रही है अब इसके साथ दूसरा केस ये भी है कि अगर आपकी बैटरी है वो पूरी चार्ज हो गई है या फिर जो उसकी लिमिट होती है उससे ज्यादा परसेंटेज चार्ज है तो आप जब भी कांस्टेंट स्पीड पे जब क्रूजिंग

कर रहे हो तो इंजन है आपका ऑटो कट ऑफ हो जाएगा और वोह बैटरी पावर ले लेगा और बैटरी से आपकी गाड़ी चलाने लगेगा तो यह भी एक मोमेंट आएगी जब आपका इंजन है वो टोटली कट ऑफ होगा और ओनली बैटरी पावर से ही आपकी

गाड़ी चल रही होगी वो भी अच्छी खासी स्पीड पे तो यहां पे भी आप देखो तो डेफिनेटली आपको फ्यूल एफिशिएंसी ज्यादा मिलेगी क्योंकि इंजन तो बंद ही है तो आपका फ्यूल है वो यूज होने वाला ही नहीं है अब जब भी आप एक्सलेटर पेडल पे से पांव हटाते हो या

फिर बैक पेडल को प्रेस करते हो तो आपकी जो डिजनरेटिव ब्रेकिंग है वो यहां पे यूज होगी और आपका जो पावर जनरेटर यूनिट है वो रीजेनरेटिव ब्रेकिंग से हाइब्रिड बैटरी उसको चार्ज करने लगेगा तो ये पर्टिकुलर हाइब्रिड सिस्टम के साथ हमने देखा कि जब इनिशियल पिकअप लेते हो उस टाइम इंजन पे

अच्छा खासा लोड पड़ता है तो वो लोड है वो इलेक्ट्रिक मोटर की वजह से रिड्यूस हो जाता है वहां पे आपकी जो गाड़ी है वो प्योर ईवी पे चलने वाली है उसके साथ आप जब प्रॉपर क्रूजिंग कर रहे हो तब भी आपकी गाड़ी है वो बैटरी को चार्ज करेगी और अगर

आपकी बैटरी है वह चार्ज है तो आपकी गाड़ी का इंजन स्टॉप करके बैटरी पावर पे गाड़ी चलाने लगेगी और जब भी आप डीएस लेट करते हो या फिर ब्रेक अप्लाई करते हो तो वहां पे री जनरेशन होगा और आपकी बैटरी वापस चार्ज होने लगेगी तो ये होता हाइब्रिड सिस्टम का

काम यहां पे आपको बाहर से बैटरी को चार्ज नहीं करना होता है इंटरनली बैटरी चार्ज होती रहती है तो अभी हम बात कर लेते हैं तीसरी कैटेगरी के बारे में कि प्लग इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल आते हैं वो कैसे काम करता है तो सबसे पहले प्लग इन

हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल आता है वो जो पिछले वाले हमने जो हाइब्रिड इलेक्ट्रिक का कांसेप्ट समझा वो कांसेप्ट को तो फॉलो करते ही है उसके साथ कुछ एक्स्ट्रा चीजें भी यहां पे आपको देखने को मिलती है तो सबसे पहले एक्स्ट्रा चीज में आता है कि हाइब्रिड व्हीकल के साथ हमने जो बैटरी

देखी थी उसके कंपेरिजन में यहां पे आपको बड़ी बैटरी देखने को मिलती है यहां पे अभी मैं आपको हाइब्रिड व्हीकल के साथ देखा था कि उसमें 4 से 5 किमी की रेंज आती है तो यहां पे आपको जो रेंज है वो प्लगइन हाइब्रिड के साथ ऑलमोस्ट 100 किमी तक भी मिलती है या

फिर उससे ऊपर नीचे भी आपको रेंज है वो मिल जाती है जहां पे आप अपनी गाड़ी को है वो प्योर ईवी पे 100 किमी तक चला सकते हो अभी ये प्लग इन हाइब्रिड कैटेगरी आप देख रहे हो तो यहां पे आपको इतनी बड़ी बैटरी मिलती है तो वो डेफिनेटली सिर्फ और सिर्फ रि

जनरेशन से आपकी बैटरी चार्ज नहीं होगी या इंजन पावर से नहीं होगी लगन हाइब्रिड नाम ही आपको ऐसा बोलता है कि आप अपनी बैटरी को बाहर से प्लग लगा के चार्ज कर सकते हो जैसे कि आपने देखा है कि जो प्योर भी आती है टा की या फिर

मोड का यूज़ कर सकते हो यहां पे आप जब प्लगइन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल को सिर्फ और सिर्फ हीवी पावर पे चलाते हो और अगर आपकी बैटरी है वो ड्रेन हो जाती है तभी जाके इंजन है यहां पे स्टार्ट होगा और इंजन पावर से आपकी बैटरी वापस स्टार्ट

होने लगेगी वो भी सेम कांसेप्ट ही यूज़ करता है जब आप कांस्टेंट स्पीड पे क्रूज कर रहे हो तभी वो इंजन है वो आपकी बैटरी को चार्ज करेगा रीजेनरेटिव ब्रेकिंग करके भी आपकी जो बैटरी है वो चार्ज होती रहेगी तो प्लगइन हाइब्रिड सिस्टम के साथ हाइब्रिड का कांसेप्ट है वोह तो यहां पे

लागू होता है है उसके साथ-साथ आप अपनी जो बैटरी होती है उसको बाहर से प्लग लगा लगा के भी आप जब घर पे आते हो तब चार्ज कर सकते हो तो प्लगइन हाइब्रिड से आपको डेफिनेटली दो बेनिफिट मिल जाते हैं एक तो आपकी फ्यूल एफिशिएंसी है बहुत ही ज्यादा

हो जाती है मान लो कि आप सीटी ड्राइविंग करते हो हर रोज आपके घर से ऑफिस ही जाने का आपको होता है तो आप यह पर्टिकुलर प्लगइन हाइब्रिड कार को डेफिनेटली प्योर ईवी पे चला सकते हो अगर आपका बहुत ही ज्यादा रूट है और आपको हाईवे पे जाना है

तब आपकी अगर बैटरी खत्म हो जाती है तो यह पर्टिकुलर कार है वो इंजन पावर पे आ जाएगी और आप जितने चाहो उतने किलोमीटर आप सिर्फ और सिर्फ एंजिन पावर पे चला सकते हो दूसरी बात यहां पे आप प्लगइन हाइब्रिड के साथ अगर आपकी जो पेट्रोल टैंक है वो भी फुल कर

लेते हो और आपकी जो कंप्लीट जो बैटरी है वो भी चार्ज है तो आप इसके साथ बहुत ही ज्यादा रेंज तक जा सकते हो जैसे कि हम ये volvo.com और टॉर्क का आप अगर मजे लेने चाहो तो वो भी पॉसिबल है हाईवे या फिर

सिटी यूजेस कहीं पे भी यहां पे हमने वो के साथ देखा तो h जो बैटरी कैपेसिटी प्रोवाइड करता है उसके साथ आप योर पे अपनी गाड़ी को 50 किमी तक भी ड्राइव कर सकते हो लवल ने आपको यहां पे तीन टाइप के मोड भी ऑफर किए

हैं जैसे कि प्योर हाइब्रिड पावर मोड तो आपका मन चाहे आपको प्योर ईवी में चलाना है तो भी पॉसिबल है हाइब्रिड में चलाना है मतलब कि नॉर्मल आपको जो इंजन और बैटरी का परफॉर्मेंस से पावर मिले तो वो भी कर सकते हो और पावर मोड जहां पे आपकी जो बैटरी है

वो और इंजन है वो दोनों के दोनों है वो आपको मैक्सिमम पावर आउटपुट देगे तो यही कांसेप्ट था प्लगइन हाइब्रिड के बारे में आपको डेफिनेटली हाइब्रिड का जो पूरा सिस्टम होता है वो यहां पे देखने को मिलता है उसके साथ-साथ यहां पे आपको जो बिगर कैपेसिटी वाली बैटरी दी जाती है उसको आप

जो दिया हुआ है उस चार्जर से चार्ज कर सकते हो जो चाहे आपके घर पे चार्ज करो या फस पे करो या फिर कहीं और कमर्शियल चार्जेस पे आप चार्ज करो अब बात कर लेते हैं कि प्योर इलेक्ट्रिक व्हीकल है वो कैसे काम करते हैं तो प्योर इलेक्ट्रिक

व्हीकल है वो पहली कैटेगरी है जहां पे आपको इंजन है वो देखने को मिलता ही नहीं है यहां पे आपको एक बड़ी सी बैटरी मिलती है जो कि डेफिनेटली प्लगइन हाइब्रिड व्हीकल में जो बैटरी आती है उनसे भी बड़ी बैटरी होती है और यहां पे आपको सिर्फ और

सिर्फ इलेक्ट्रिक मोटर लगी हुई होती है जो कि आपके पहियों को पावर पहुंचाएगी यहां पे पावर ट्रेन के मैकेनिज्म के बारे में बात करें तो बहुत ही सिंपल होती है यहां पे आपकी जो बैटरी होती है वो डायरेक्टली मोटर से कनेक्टेड होती है और मोटर है वो डायरेक्टली आपके पहियों से कनेक्टेड होती

है तो जो बैटरी में से जो पावर निकलता है वो डायरेक्टली जो मोटर है आपकी वो पहियों तक पहुंचा जाती है और अगर फोर व्हील ड्राइव सिस्टम है तो वहां पे दो मोटर लगी हुई होती है जो कि फ्रंट मोटर में भी आपका पावर पहुंचाएगी उसके साथ-साथ रियर मोटर

में भी आपका पावर पहुंचाएगी और सभी इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ हमने देखा है कि मोटर है वो इंस्टेंट स्टोक प्रोड्यूस करता है तो उससे आपको पावर है वो बहुत ही ज्यादा फील होता है हालांकि हमारे इंडिया में हमने देखा है कि टा या फिर गई तो ऐसी प्रीमियम गाड़ी के साथ आपको

बहुत ही ज्यादा टॉक देखने को मिलता है और डेफिनेटली उस गाड़ी की स्टेबिलिटी और व जो ट्रैक्शन को कंट्रोल करने का जो पावर होता है वो भी ज्यादा होता है तो आपको उस केस में कोई भी दिक्कत नहीं आती है और आपको प्योर इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ में री

जनरेशन का कांसेप्ट देखने को मिलता है मतलब आप जब ब्रेक लगाओगे तब तो बैटरी रिचार्ज होगी उसके साथ-साथ यहां पे आपको कई सारे ब्रांड है व मल्टीपल रि जनरेशन ऑप्शन भी ऑफर करता है जैसे कि आपको स्ट्रंग नरेशन चाहिए या फिर मीडियम चाहिए या फिर लो रि जनरेशन चाहिए तो उसके बेसिस

से आप जितना एक्सीलरेटर प से पाव हटाओ ग उतनी आपकी स्पीड भी रिड्यूस होगी और आपकी बैटरी है वो भी उस मोड के हिसाब से चार्ज होगी तो यह बहुत ही नॉर्मल मैकेनिज्म थी कि ल इलेक्ट्रिक व्हीकल काम कैसे करता है यहां पे कोई भी इंजन का प्लेसमेंट आपको

देखने को नहीं मिलता है टोटली जो आपका पावर है वो आपको प्लग इन करके ही बैटरी को चार्ज करना है और वही चार्जर से आपकी जो कार है वो चलेगी हमने मोस्टली देखा है कि ल इलेक्ट्रिक कार के साथ आपको अच्छी खासी रेंज ऑफर की जाती है जैसे कि 200 किमी हो

गई या फिर 500 या फिर 700 किमी तक की अब हम लास्ट कैटेगरी के बारे में बात कर लेते हैं तो लास्ट कैटेगरी आती है वो है फ्यूल सेली भी तो ये फ्यूल सेली भी है वो कैसे काम करती है उसके बारे में अगर देखें तो यहां पे आपको जो हाइड्रोजन के बड़े-बड़े

टैंक लगे हुए देखने को मिलेंगे जैसे ही हमने सीएनजी गाडियों में सीएनजी के टैंक लगे हुए देखे हैं और फ्यूल से लीवी के साथ में आपको यहां पे एक फ्यूल सेल्स टैक लगा हुआ दिखेगा जो कि आप अपनी स्क्रीन प देख रहे हो तो ये फ्यूल सेल्स टैक है वो कैसे

काम करता है कि फ्यूल सेल्स टैंक को जैसे ही ऑक्सीजन मिलेगा तो वो हाइड्रोजन टैंक में से हाइड्रोजन लेके ऑक्सीजन लेके उसमें से एनर्जी प्रोड्यूस करेगा और वो पर्टिकुलर एनर्जी होती है और फ्यूल स्टैक ईवी के केस में एक बैटरी में जाके स्टोर होती है और इससे जो बाय प्रोडक्ट निकलेगा

वो निकलेगा सिर्फ और सिर्फ पानी जो हमने आईसी इंजन की गाडियों में देखा है कि एमिशन के नोम पे आपको कार्बन डाइऑक्साइड देखने को मिलता है यहां पे आपको एमिशन के नोम पे पानी देखने को मिलेगा जिसमें डेफिनेटली कार्बन डाइऑक्साइड नहीं होगा तो ये जो फ्यूल सेल ईवी है वो भी आपको जीरो

एमिशन प्रोड्यूस करने वाली कार की कैटेगरी में ही आती है ये फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ में भी आपको कोई भी इंजिन का प्लेसमेंट नहीं मिलता है सेम जो हमने प्योर ईवी के साथ देखा है वही मैकेनिज्म यहां पे भी आपको देखने को मिलती है डायरेक्टली आपके पहियों के साथ में मोटर

लगी हुई होती है और मोटर ही आपके पहियों को पावर प्रोड्यूस करके देती है और यह फ्यूल सेलवी के साथ में भी आपको रीजेनरेटिव ब्रेकिंग की मैकेनिज्म देखने को मिलती है मतलब जैसे ही आप एक्सलेटर से पावर हटाते हो या फिर ब्रेकिंग करते हो तो

जो एनर्जी जो लस्ट होती है वो आपको एज अ रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के दौर पे वो बैटरी को चार्ज कर देगी तो वहां से भी बैटरी आपकी चार्ज होगी उसके साथ-साथ ये जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का कंबन होके जो आपको एनर्जी प्रोड्यूस हुई है वो भी आपकी

बैटरी में स्टोर होके जाएगी अब यहां पे भी आपको एडवांटेज क्या मिलता है तो एडवांटेज सबसे पहली बात है कि प्योर इलेक्ट्रिक मोड पे ही काम करती है तो आपको जो इंस्टेंस स्टोर्क वो देखने को मिलता है ईवी के साथ वो यहां पे भी आपको देखने को मिलेगा उसके

साथ आपको यहां पे थोड़ा सा भी इंजन नॉज कहीं से भी सुनाई नहीं देने वाला है क्योंकि इसमें इंजन नहीं आएगा तीसरी बात वो है कि हमने प्योर ईवी के साथ जो इशू देखा था कि उसको सात आठ घंटे या फिर 10 घंटे चार्ज करना पड़ता है डिपेंड्स ऑन द

बैटरी कैपेसिटी तो यहां पे वो प्रॉब्लम भी रिजॉल्व हो जाएगा आपको पता है कि हमने सीएनजी टैंक फील करते हैं तो उसमें कितना टाइम लगेगा तो सेम चीज यहां पे हाइड्रोजन टैंक को भी हमको कहीं पे फ्यूल स्टेशन पे जाकर फ्यूल करना पड़ेगा तो वो वो जो टाइम

है वो बहुत ही कम रहने वाला है 10 मिनट 15 मिनट में हमारी हाइड्रोजन टैंक है वो पूरे की पूरी फील हो जाएगी और अगर हम यहां पे रेंज की बात करें तो सेम ही है जितनी हमारी हाइड्रोजन टैंक है वो बड़ी होगी उतनी ज्यादा आपको रेंज मिलेगी जैसे कि सेम

केस हमने सीएनजी के साथ में भी देखा है डेफिनेटली सीएनजी की कंपेरिजन में यहां पे आपको ज्यादा रेंज देखने को मिल जाएगी और अगर हम हैवी व्हीकल में ये सेटअप करना चाहे तो वो भी पॉसिबल है क्योंकि डेफिनेटली हैवी व्हीकल में आपको ज्यादा जगह मिलती है तो वहां पे आप बड़ी

हाइड्रोजन टैंक लगा सकते हो तो फ्यूल सेल ईवी है वो अभी का जो सबसे लेटेस्ट इ है वो है हमने इंडिया में अभी तक तो कोई गाड़ी देखी नहीं है जो हाइड्रोजन फ्यूल प देखी है डेफिनेटली कई सारे ब्रांड ने कंसेप्ट ऑलरेडी मार्केट में लाकर रखे है जैसे कि

टाटा ऑलरेडी कुछ ट्रक या फिर बस उसने हाइड्रोजन वाली बना रखी है और वो किस तरह से काम करते हैं और मेरी चैनल को सब्सक्राइब भी कर दीजिए ताकि मैं आपको ऐसे ही इंफॉर्मेशन वीडियो है वो लाके देता रहूं तो मिलेंगे किसी नेक्स्ट वीडियो में

कोई और इंफॉर्मेशन या फिर कोई और गाड़ी के साथ तब तक के लिए सेफ ड्राइव करें सुरक्षित रहे धन्यवाद

1. Mild Hybrid Electric Vehicle (MHEV):
Subtle Boost: MHEVs have a small electric motor that assists the internal combustion engine, primarily for smoother starts and improved fuel efficiency.
Limited Electric Power: Unlike other hybrids, MHEVs cannot run solely on electric power.
Cost-Effective Option: MHEVs are generally less expensive than other electrified options due to their simpler technology.
Ex. : Baleno, Ciaz, Xuv300, Scorpio

2. Hybrid Electric Vehicle (HEV):
Combined Power: HEVs use a combination of an internal combustion engine (petrol or diesel) and an electric motor. The engine charges the battery during braking and can also directly power the car.
Fuel Efficiency: HEVs offer better fuel economy and lower emissions compared to traditional gasoline vehicles.
No Plugging In: HEVs cannot be plugged in for external charging. The battery gets charged by the engine and regenerative braking.
Ex. : MS Grand Vitara, Honda City, Toyota Camry

3. Plug-in Hybrid Electric Vehicle (PHEV):
Dual Mode: PHEVs function similarly to HEVs but offer a larger battery pack that can be charged externally. This allows for pure electric driving for shorter distances, reducing reliance on gasoline.
Extended Range: Once the battery depletes, the PHEV operates like a regular HEV.
Charging Infrastructure: PHEVs benefit from both electric charging and gasoline stations, offering more flexibility.
Ex. : Volvo XC90 (discontinues), Hyundai IONIQ (discontinues)

4. Battery Electric Vehicle (BEV):
Pure Electric Power: BEVs are powered solely by a large onboard battery pack. They offer zero tailpipe emissions and a silent driving experience.
Charging: BEVs rely on external charging stations or home setups to replenish their batteries. Charging infrastructure is still developing in India, so range anxiety might be a concern.
Ex. : Tata Nexon, Mahindra XUV400, MG ZS, Tata Tiago

5. Fuel Cell Electric Vehicle (FCEV):
Hydrogen Power: FCEVs use a hydrogen fuel cell that combines hydrogen and oxygen from the air to generate electricity, powering the electric motor. They emit only water vapor from the tailpipe.
Clean Technology: FCEVs offer zero-emission driving and a refueling experience similar to gasoline vehicles.
Limited Availability: Hydrogen infrastructure is still in its nascent stage in India, making FCEVs a less viable option currently.
Ex. : Toyota Mirai (Not available in India but used by Nitin Gadkari ji)

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00:00 – What is in this video
00:40 – Mild Hybrid Car
06:32 – Hybrid Car
10:36 – Plug-in Hybrid Car
14:50 – Pure Electric Car
16:57 – Fuel Cell Electric Car

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