Electric Cars

Why Japanese Brands Hate Electric Cars?



Why Japanese Brands Hate Electric Cars?

दुनिया के ऑलमोस्ट सभी ऑटोमोटिव ब्रांड्स यह वादा कर चुके हैं कि वह पेट्रोल और डीजल पर चलने वाली गाड़ियों को बनाना बंद कर देंगे और फुली इलेक्ट्रिक कार्स की तरफ शिफ्ट कर जाएंगे और इसके अंदर भी कुछ कार मेकर्स ऐसे हैं जो कि इलेक्ट्रिक कार्स को लेकर बहुत ही ज्यादा एक्सट्रीम हो चुके

हैं जैसे कि jaguar.com तक फुली इलेक्ट्रिक कार मेकर बनने का वादा करा है यानी कि अमेरिका से लेकर यूरोप और चाइना से लेकर कोरिया तक सभी कार मेकर्स ईवीज को लेकर पूरी तरीके से कमिटेड हो चुके हैं एक्सेप्ट वन और वो है जैपनीज कार मेकर्स जहां हमें

Audi0 4x और आई एम श्यर इसका नाम भी आपने नहीं सुना होगा जापान की दूसरी बड़ी कार कंपनी के भी हालात कुछ ऐसे ही देखने को मिलते हैं उनके पास भी अभी सिर्फ तीन ही इलेक्ट्रिक कार्स हैं जो कि उनकी ईए सीरीज के अंदर आती हैं जो कि अभी सिर्फ चाइना और

यूरोप के अंदर ही अवेलेबल है सिमिलरली nishan-e-pakistan लेकिन जब मार्केट के अंदर डिजिटल कैमरा की डिमांड बढ़ी तो कोडेक ने इस चेंज को एक्सेप्ट करने के बजाय रील वाले कैमरा ही बनाने पर फोकस किया और वोह आज की डेट में ऑलमोस्ट एक्सटेंट हो चुके हैं तो सवाल

यहां पर ये उठता है कि कोक की ही तरह जिस तरीके से जैपनीज ब्रांड्स अभी बहुत ही ज्यादा स्लो ट्रांजीशन कर रहे हैं क्या वो इसकी वजह से खत्म हो जाएंगे या फिर उनके पास कोई सीक्रेट प्लान है जो हम लोगों को अभी तक नहीं पता चलो ये तो आप लोगों को इस

वीडियो के अंदर आगे पता लग ही जाएगा लेकिन उससे पहले मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं और वो यह है कि हम इन वीडियोस को बनाने में ना बहुत ही ज्यादा मेहनत करते हैं और जब आप आप लोग हमें सब्सक्राइब करते हैं तो हमें ऐसा लगता है कि जो हमारी

मेहनत है वो वसूल हो गई तो प्लीज कंसीडर सब्सक्राइब टू आवर चैनल ताकि हमें मोटिवेशन मिले और हम ऐसी ही वीडियोस बहुत ज्यादा बना सके आपके लिए तो यार अभी जो मैं आपको कोडेक वाला एग्जांपल दे रहा था ना अगर हम उसी के थ्रू बात करें तो जो

कोडेक है और जो जैपनीज ब्रांड्स है ना इनके अंदर एक बहुत बड़ा फर्क है और वो यह है कि कोडेक ने कभी भी अपनी पुरानी टेक्नोलॉजी के कैमरा को चेंज नहीं किया था वहीं इसके उलट जैपनीज कार मेकर्स पूरी दुनिया के अंदर शुरुआती ऐसे कार ब्रांड्स बने थे जिन्होंने मास प्रोड्यूस्ड

इलेक्ट्रिक कार्स बनाना शुरू कर दिया था जी हां इलेक्ट्रिक कार थी जो कि सेल्स के मामले में फर्स्ट जनरेशन इलेक्ट्रिक कार्स के हिसाब से एक काफी अच्छी खासी सक्सेसफुल हो पाई थी हां बट ऑब् वियस दिस सक्सेस वाज नथिंग लाइक अ पेट्रोल और अ डीजल कार खैर

जो भी हो इस पूरी कहानी के अंदर 180° टर्न तब आया जब जीएम ने अपनी एन एमएच बैटरी यानी कि निकल मेटल हाइब्रिड टेक्नोलॉजी वाली बैटरी के पेटेंट्स को एक ऑयल कंपनी को बेज दिया और उस ऑयल कंपनी को बाद में शवन नाम की एक बड़ी ऑयल कंपनी ने खरीद लिया एक्चुअली

Chronicle.co.in बैट्री के पेटेंट आ जाते तो वह किसी भी कंपनी को बिजली पर चलने वाली गाड़ी बनाने से रोक सकते थे जिसके चलते फॉसिल फ्यूल पर चलने वाली गाड़ियों की तादाद लगातार बढ़ती रहती और तेल बेचने वाली कंपनियों की कमाई भी एंड एक्चुअली बिल्कुल ऐसा ही कुछ हुआ भी शवन कंपनी जो

कि अब बैटरी के पेटेंट की मालिक बन चुकी थी उसने toyota’s पैनासोनिक और बाकी ईवी बैटरी मेकर्स के ऊपर भी केस किए गए क्योंकि या तो व ईवी मेकर्स को बैटरी बनाने वाले कंपोनेंट्स प्रोवाइड करा रहे थे या वह खुद एक बैटरी बनाकर प्रोवाइड करा दे थे इन केसेस की वजह

से हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि जो ईवीज के अनसोल्ड लॉट्स थे ना उनको अमेरिका के अंदर क्रश किया जाने लगा और यही सब देखते हुए दोनों ही जैपनीज ऑटो मेकर्स ने ईवीज बनाना ही बंद कर दिया लेकिन इलेक्ट्रिक बैटरीज का साथ उन्होंने पूरी तरीके से नहीं छोड़ा इनफैक्ट उन्होंने इसी बैटरी

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हाइब्रिड कार्स को प्रमोट करने के लिए किया जिसमें कि पेट्रोल और बिजली दोनों का का इस्तेमाल होता है गाड़ी को चलाने के लिए और क्योंकि इनके अंदर पेट्रोल का भी इस्तेमाल होता है इसीलिए शवन को इन गाड़ियों से दिक्कत नहीं थी कोई भी

Toyota’s को लेकर बहुत ही ज्यादा बुलिश हो गई और इन्होंने ईवीज को पूरी तरीके से बनाना ही बंद कर दिया जैसा मैंने पहले बोला लेकिन वक्त के साथ हमें ये भी देखने को मिला कि जो इस डॉक्यूमेंट को आम पब्लिक भी पढ़े इसीलिए सीक्रेट होने के बावजूद भी इंटरनेट पर अवेलेबल है

Toyota’s पर ही रिलाई करना है तो सिर्फ अमेरिका के अंदर 12 लाख चार्जिंग स्टेशंस लगाने होंगे वो भी अगले सिर्फ पांच से छ सालों के अंदर इसके अलावा उन्होंने ईवीज की अफोर्डेबल पर भी काफी ज्यादा सवाल उठाए उनका मानना यह है कि जब तक एक इलेक्ट्रिक कार एक पेट्रोल कार जितनी अफोर्डेबल नहीं

हो जाती तब तक उनकी कॉस्ट जस्टिफाई नहीं करी जा सकती है अब ये जितनी भी बातें थी ना ये ज्यादातर हम सभी लोग जानते ही हैं लेकिन इस डॉक्यूमेंट के अंदर लिए जितने भी रिसोर्सेस चाहिए होते हैं वह सारे के सारे रेयर एलिमेंट्स होते हैं यानी कि ऐसे एलिमेंट्स जिनकी तादाद धरती

के अंदर कम हो रही है और एक बार अगर ये खत्म हो गए तो फिर दोबारा इनको प्रोड्यूस नहीं किया जा सकता और ये जो 1:6 90 रूल है ना ये हमें ये बताता है कि जितने ऐसे रेयर एलिमेंट्स और रॉ मटेरियल एक इलेक्ट्रिक कार की बैटरी को बनाने में लगते हैं ना

उतने में छह प्लगइन हाइब्रिड बनाई जा सकती हैं और 90 हाइब्रिड कार्स बनाई जा सकती है सोचो सिर्फ एक इलेक्ट्रिक कार का एनवायरमेंट पर 90 हाइब्रिड कार्स जितना स है अच्छा इसके अलावा इस डॉक्यूमेंट में यह भी बताया गया था कि 2030 तक 300 नई कोबाल्ट निकल और ग्रेफाइट माइंस की जरूरत

पड़ेगी अगर हमें पूरी तरीके से इलेक्ट्रिफाई होना है कार्स के मामले में तो यही रीजन है जिसकी वजह से जापान की सरकार ईवीज को उस तरीके से सपोर्ट नहीं कर रही है जिस तरीके से बाकी देश कर रहे हैं जहां एक तरफ चाइनीज इंडियन अमेरिकन और यूरोपियन सरकारें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बहुत सारी

सब्सिडीज दे रही हैं वहीं जापान में इलेक्ट्रिक कार से भी ज्यादा फ्यूल सेल वाली गाड़ियों पर सब्सिडी दी जा रही है हालांकि जैपनीज गवर्नमेंट ने कहा है कि वह 2035 तक 100% इलेक्ट्रिफाइंग लेकिन इस 100% इलेक्ट्रिफिकेशन के अंदर उन्होंने हाइब्रिड को भी शामिल किया है और जपनीज गवर्नमेंट हाइब्रिड को फ्यूचर टेक्नोलॉजी

मानती है और उनका आने वाले भविष्य में हाइब्रिड को बंद करने का कोई भी प्लान नहीं है अनलाइक यूएस एंड यूके गवर्नमेंट्स अब क्योंकि जैपनीज कार कंपनीज और उनकी सरकार का रवैया ईवीज को लेकर बहुत ज्यादा पॉजिटिव नहीं है इसीलिए अब वो इंटरनेशनल एनवायरमेंटल ऑर्गेनाइजेशंस के निशाने पर

आने लगे हैं जैसे कि कुछ टाइम पहले ग्रीन स्पेस नाम की एक एनवायरमेंटल ऑर्गेनाइजेशन ने एक रिपोर्ट निकाली है जिसके अंदर उन्होंने टॉप 10 ग्लोबल ऑटो कंपनीज में toyota’s का दर्जा दिया गया है यानी की सिंपल भाषा में बोलूं तो उनके हिसाब से जैपनीज कार मेकर ज्यादा एफर्ट नहीं डाल

रहे हैं एनवायरमेंट को बचाने के लिए इसके अलावा क्लाइमेट ग्रुप की रिपोर्ट के हिसाब से जापान की जीडीपी डिक्लाइन होने के बहुत ज्यादा चांसेस हैं अगर वो ईवी को अडॉप्ट नहीं करते हैं तो क्योंकि जापान की जो टोटल जीडीपी है ना उसका 89 पर सिर्फ

मैन्युफैक्चरिंग से आता है और इस 89 पर के अंदर भी ऑटोमोबिल सेक्टर एक सब्सटेंशियल पार्ट लेकर बैठा हुआ है जिसमें भी जो ज्यादातर पैसा है ना वो गाड़ियों को एक्सपोर्ट कर कर आता है और ऐसे में अगर बाहर के देश हाइब्रिड को और बाकी आइस

कार्स को बनाने पर ही रोक लगा देंगे तो जापान का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है और देखा जाए तो ऐसा ही कुछ होने भी वाला है क्योंकि ब्रिटेन इजराइल और सिंगापुर तो ऑलरेडी ये कह भी चुके हैं कि वो 2030 तक ही इंटरनल कंबशन इंजन वाली गाड़ियों पर

बैन लगा देंगे और अगर ऐसा होता है तो जपनीज अपनी आइस और हाइब्रिड कार्स को कहां बेचेंगे ज्यादातर तो उनका एक्सपोर्ट से ही आता है ना एज आई सेड बिफोर तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए जैपनीज कार मेकर्स ने भी अपना रुख थोड़ा सा ईवीज को लेकर बदला

है हां भले ही अभी वो कुछ खास इलेक्ट्रिक कार्स नहीं बना रहे हैं लेकिन फ्यूचर के लिए उन्होंने अनाउंसमेंट्स जरूर करी है जैसे कि यह बोला है कि वो चार नई इलेक्ट्रिक कार्स लॉन्च करेंगे जो कि उनके 2035 के 100% ईवी वाले गोल को पूरा करने में मदद करेगी और अगर हम

यानी ईवीज को लेकर इसीलिए वह कभी हाइड्रोजन फ्यूल कभी फ्लेक्स फ्यूल या फिर कभी अलग टाइप के हाइब्रिड टेक्नोलॉजीज पर काम करते रहते हैं इंस्टेड ऑफ वर्किंग ऑन ईवीज डायरेक्टली लेकिन आप अपने विचार जरूर बताइए आपको क्या लगता है एज ए कंज्यूमर क्या जैपनीज ब्रांड्स के थॉट प्रोसेस से

आप एग्री करते हैं प्लीज कमेंट्स में बताइए इसके अलावा अगर आपको यह वीडियो पसंद आई हो तो प्लीज कंसीडर सब्सक्राइब ंग टू आवर चैनल इस वीडियो को लाइक करिए शेयर करिए और कमेंट्स में अपने विचार जरूर छोड़िए थैंक यू

Toyota only has 1 electric car in its arsenal, honda has 2, Nissan has 2, and Mitsubishi and Suzuki have 0 electric cars in their lineup.

For a long time, we have noticed that Japanese brands are not looking interested in producing electric cars.

And that’s the exact opposite of what every other brand from every other country is doing,
So what Japanese brands are exactly up to? do they have any other better technology or they are going to be doomed.

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